माँ दुर्गा का वाहन देता है भविष्य का संकेत
देवी भागवत के अनुसार नवरात्रि पर मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान विशेष वाहन पर होता है। देवी के आने तथा ले जानेवाले हर वाहन में भविष्य के लिए विशिष्ट संकेत छिपे होते हैं। माँ दुर्गा के आगमन और प्रस्थान के वाहन का निर्णय नवरात्री की प्रारम्भ और विजयादशमी के वार अनुसार होता है। माँ दुर्गा के आगमन और प्रस्थान के वाहन का देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर असर देखने को मिलता है। नवरात्रि के पश्चात 6 माह तक धन-धान्य की उपलब्धता और राजनितिक क्षेत्रों में उठपटक से सम्बंधित महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की जाती हैं
सम्वत 2075 (वर्ष 2018) में नवरात्रि पर मां का आगमन और प्रस्थान
वैसे तो सिंह को ही मां दुर्गा का वाहन माना जाता है। लेकिन हर वर्ष नवरात्रि के समय प्रथम पूजा अर्थात घट स्थापना के वारानुसार मां का आगमन और प्रस्थान अलग-अलग विशेष वाहनों पर सवार होकर धरती पर होता है। माना जाता है कि माता जिस वाहन से कैलाश लोक से पृथ्वी पर आती हैं उसके अनुसार वर्ष में होने वाली घटनाओं का भी आकलन किया जाता है।
देवी के आने तथा ले जाने वाले हर वाहन में भविष्य के लिए विशिष्ट संकेत छिपे होते हैं। आइए, जानते हैं इस बार मां किस वाहन पर आ रही हैं और किस वाहन पर जाएंगी, साथ ही इसका क्या प्रभाव होगा…
देवीभागवत् में बताया गया है कि
‘शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता’
अर्थात- रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं। जबकि बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
वर्ष २०१८ में प्रथम पूजन बुधवार को है तो मां दुर्गे का आगमन इस बार नौका पर है। जो पूरे देश के लिए सिद्धिदायक है।
नौकावाहनम् :
बुधे नौका प्रकीर्त्तिताः, नौकायां सर्वसिद्धिस्याद्।
देवीभागवत् के इस कथन के अनुसार, नौका पर माता का आगमन शुभ फलदायक माना जाता है। 2018 में बुधवार को नवरात्र आरंभ होने के कारण माता का आगमन इस वर्ष रत्न जड़ित नौका पर होने जा रहा है। नौका बिन जल के चल नहीं सकती है। यही वजह है कि जिस वर्ष माता का आगमन नौका पर होता है, उस साल खूब वर्षा तो होती है। दुर्भाग्यवश इससे कई बार जान-माल का नुकसान होता है। देश-दुनिया में अर्थव्यवस्था और राजनीति डगमग चलती है।
लेकिन अच्छी बात यह है कि माता जब इस वाहन से आती हैं तो कृषि अच्छी होती है। माता का नौका पर आगमन भक्तों को भवसागर से पार कराने वाला भी माना गया है। दुर्गा का यह वाहन कामनापूरक भी माना जाता है। नौकाविहार की मुद्रा में देवी का प्राकट्य इस नवरात्रि में साधना और उपासना से अभिष्ट सिद्धि की ओर भी इशारा कर रहा है।
माता की विदाई
''बुध-शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन देवि सुवृष्टिकरा"
विजयादशमी इस वर्ष 19 अक्टूबर 2018, शुक्रवार को होने से मां की विदाई गज पर है जो सुवृष्टि फलदायक होगी। शुक्रवार को मां श्वेत गज पर आशीर्वाद मुद्रा में सवार होकर विदा होंगी। ऐरावत पर सवार होकर देवी का प्रस्थान ऐश्वर्य का द्योतक है।
फलतः नवरात्रि के पश्चात् अगले 6 मास जल और धन-धान्य की पूर्णता एवं समृद्धि के लिए सकारात्मक प्रतीत हो रहे हैं।
#सम्वत_2075, #
-:Anju Anand
देवी भागवत के अनुसार नवरात्रि पर मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान विशेष वाहन पर होता है। देवी के आने तथा ले जानेवाले हर वाहन में भविष्य के लिए विशिष्ट संकेत छिपे होते हैं। माँ दुर्गा के आगमन और प्रस्थान के वाहन का निर्णय नवरात्री की प्रारम्भ और विजयादशमी के वार अनुसार होता है। माँ दुर्गा के आगमन और प्रस्थान के वाहन का देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर असर देखने को मिलता है। नवरात्रि के पश्चात 6 माह तक धन-धान्य की उपलब्धता और राजनितिक क्षेत्रों में उठपटक से सम्बंधित महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की जाती हैं
सम्वत 2075 (वर्ष 2018) में नवरात्रि पर मां का आगमन और प्रस्थान
नौका से माँ का आगमन, गज से गमन
वैसे तो सिंह को ही मां दुर्गा का वाहन माना जाता है। लेकिन हर वर्ष नवरात्रि के समय प्रथम पूजा अर्थात घट स्थापना के वारानुसार मां का आगमन और प्रस्थान अलग-अलग विशेष वाहनों पर सवार होकर धरती पर होता है। माना जाता है कि माता जिस वाहन से कैलाश लोक से पृथ्वी पर आती हैं उसके अनुसार वर्ष में होने वाली घटनाओं का भी आकलन किया जाता है।
देवी के आने तथा ले जाने वाले हर वाहन में भविष्य के लिए विशिष्ट संकेत छिपे होते हैं। आइए, जानते हैं इस बार मां किस वाहन पर आ रही हैं और किस वाहन पर जाएंगी, साथ ही इसका क्या प्रभाव होगा…
देवीभागवत् में बताया गया है कि
‘शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता’
अर्थात- रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं। जबकि बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
वर्ष २०१८ में प्रथम पूजन बुधवार को है तो मां दुर्गे का आगमन इस बार नौका पर है। जो पूरे देश के लिए सिद्धिदायक है।
नौकावाहनम् :
बुधे नौका प्रकीर्त्तिताः, नौकायां सर्वसिद्धिस्याद्।
देवीभागवत् के इस कथन के अनुसार, नौका पर माता का आगमन शुभ फलदायक माना जाता है। 2018 में बुधवार को नवरात्र आरंभ होने के कारण माता का आगमन इस वर्ष रत्न जड़ित नौका पर होने जा रहा है। नौका बिन जल के चल नहीं सकती है। यही वजह है कि जिस वर्ष माता का आगमन नौका पर होता है, उस साल खूब वर्षा तो होती है। दुर्भाग्यवश इससे कई बार जान-माल का नुकसान होता है। देश-दुनिया में अर्थव्यवस्था और राजनीति डगमग चलती है।
लेकिन अच्छी बात यह है कि माता जब इस वाहन से आती हैं तो कृषि अच्छी होती है। माता का नौका पर आगमन भक्तों को भवसागर से पार कराने वाला भी माना गया है। दुर्गा का यह वाहन कामनापूरक भी माना जाता है। नौकाविहार की मुद्रा में देवी का प्राकट्य इस नवरात्रि में साधना और उपासना से अभिष्ट सिद्धि की ओर भी इशारा कर रहा है।
माता की विदाई
''बुध-शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन देवि सुवृष्टिकरा"
विजयादशमी इस वर्ष 19 अक्टूबर 2018, शुक्रवार को होने से मां की विदाई गज पर है जो सुवृष्टि फलदायक होगी। शुक्रवार को मां श्वेत गज पर आशीर्वाद मुद्रा में सवार होकर विदा होंगी। ऐरावत पर सवार होकर देवी का प्रस्थान ऐश्वर्य का द्योतक है।
फलतः नवरात्रि के पश्चात् अगले 6 मास जल और धन-धान्य की पूर्णता एवं समृद्धि के लिए सकारात्मक प्रतीत हो रहे हैं।
#सम्वत_2075, #
-:Anju Anand