मीन राशि में सूर्य के संक्रमण अर्थात चैत्र संक्रांति को षडशीतिमुख कहते हैं। संक्रांति यदि आधी रात से पूर्व हो तो पूर्व दिन का उत्तरार्ध पुण्यकाल होता है आधी रात के उपरांत संक्रांति हो तो अगले दिन का पूर्वार्ध पुण्यकाल होता है।
रात्रि के पहले पहर में पड़ने वाली संक्रांति भूतों और पिशाचो का नाश करती है। धनिष्ठा नक्षत्र में होने के कारण संक्रांति की संज्ञा सम है। सम संज्ञक नक्षत्रो में संक्रांति मुहूर्त्ति होती है 30 मुहूर्ति मीन संक्राति में स्नान, दान, जप इत्यादि का विशेष पुण्य काल मध्याह्न बाद होगा। मुहूर्त्ति संक्रांति में अन्न समभाव ही रहता है न महंगा न सस्ता लेकिन दूध और दही महंगे होंगे ।
रात्रि के पहले पहर में पड़ने वाली संक्रांति भूतों और पिशाचो का नाश करती है। धनिष्ठा नक्षत्र में होने के कारण संक्रांति की संज्ञा सम है। सम संज्ञक नक्षत्रो में संक्रांति मुहूर्त्ति होती है 30 मुहूर्ति मीन संक्राति में स्नान, दान, जप इत्यादि का विशेष पुण्य काल मध्याह्न बाद होगा। मुहूर्त्ति संक्रांति में अन्न समभाव ही रहता है न महंगा न सस्ता लेकिन दूध और दही महंगे होंगे ।